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भगवान जगन्नाथ हर साल 15 दिनों के लिए बीमार क्यों पड़ते हैं

भगवान जगन्नाथ हर साल 15 दिनों के लिए बीमार क्यों पड़ते हैं, इसका संबंध उनकी एक विशेष लीला और परंपरा से जुड़ा है, जिसे “अनवसर काल” या “अनवसर उत्सव” (Anavasara Utsav) कहा जाता है।

जब रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को स्नान मंडप में लाकर 108 कलशों से विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है — इसे स्नान यात्रा कहा जाता है। इस महाभिषेक के बाद माना जाता है कि भगवान को सर्दी-ज़ुकाम या बुखार जैसा रोग लग जाता है।

🔸 फिर क्या होता है?
इसके बाद भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन 15 दिनों के लिए आम दर्शन से ओझल हो जाते हैं। इस अवधि को “अनवसर” कहा जाता है — यानी जब भगवान बीमार होते हैं और आराम करते हैं। उन्हें “नृसिंह चिकित्सालय” में रखा जाता है, जहां वैद्य उनकी सेवा करते हैं और औषधीय काढ़ा (दवा) दी जाती है।

🔸 इस दौरान क्या दर्शनीय होता है?
इस समय भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाते, लेकिन सभी को यह याद दिलाया जाता है कि भगवान भी हमारी तरह भावनाओं और स्थितियों से जुड़ते हैं — वे भी “लीलात्मक रूप” में बीमार पड़ते हैं।

🔸 15 दिन बाद क्या होता है?
15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर “नवयौवन” रूप में प्रकट होते हैं, जिसे “नवजौवन दर्शन” कहते हैं। इसके कुछ ही दिन बाद भव्य रथ यात्रा का आयोजन होता है।

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